Monday, June 1, 2009

Precious Pearls

This is my composition in which i ve tried to express how we get thankless for good moments(which i m calling pearls here) that we get and our state of considering ourself the supreme authority , the way we keep on advising god...  rather cursing god everytime for what we dont get without having the vision of the ultimate creator and his plans for us.
Through this poem i am trying to thank every single person... my parents,my friends and everybody who has given me their company and the moments that i cherished.


पूरा नहीं मेरी ज़िन्दगी में सब क्यूँ
हर इक चीज़ की होती इक हद क्यूँ
सोचती थी अक्सर मैं तन्हाइयों में
वो दिन की बनती बिगड़ती परछाइयों में
 
तू है मेरी निधि की अनमोल सी दौलत
बनाया था तुझको ये थी मेरी रहमत
फिर भी मुझी पर उंगली  उठाई है तब तो
दूंगा वही जो तू चाहेगी अब तो
 
वो अधूरे सपने, वो अधूरे करम
वो अधूरी ख्वाहिशें, वो अधूरे रहम
कहा मैंने उसको कि दिया सब अधूरा
कुछ देना है मुझको, तो देना वो पूरा
 
मिलेगा सब पूरा, कहा उसने, तुझको
फिर इक दिन मिले कुछ मोती ये मुझको
खनखनाते, खिलखिलाते, ये सुंदर से मोती
पवित्र से , सोहल से, स्वजल से ये मोती
 
वो हस्ते मुस्कुराते पलों के मोती
वो चुलबुली चहकती सी बातों के मोती
बिन मांगी जो पाई वो इज्ज़त के मोती
उन पलों में मिली क़यामत के मोती
 
प्यार के धागे में वो मोती जो डाला
बनने लगी इक अटूट सी माला
चाहने लगी रब से भी ज्यादा मैं उसको
जहाँ से प्यारा था इक-इक मोती वो मुझको
 
अनगिनत मोती ये देता रह मुझको
देखती हूँ इनमें, तेरी रहमत और तुझको
माँगा फिर रब से ,रहे ये माला अधूरी
जब तक न हो ये ज़िन्दगी ख़त्म पूरी
 
माँगा पूरा, जब दिया था अधूरा
मांगती है अधूरा, जब दिया मैंने पूरा
आई है अब तो सज़ा की घड़ी
पूरी होगी अधूरी ये माला जो पड़ी
 
ख़त्म हुए तेरे मोती और हुई पूरी माला
जो माँगा था तूने, वो पूरा कर डाला
ऐ बन्दे, जो मिल जाए सब तुझको यूं ही पूरा
तो करेगा क्या पूरा, जो रहा है अधूरा
 
गिर पड़ी मैं ज़मीन पर, बोली मैं रोती
देता रह हमेशा ये माला के मोती
आँखों में आंसू , और कर के मैंने झोली
मांगी फिर माफ़ी जो अपशब्द थी बोली
 
मिलते रहे ये पल और प्यार के मोती
क़यामत में अपनी रहूँ इनको पिरोती
अच्छी  है  माला ये ऐसे अधूरी
ज़िन्दगी भर करती रहूँ इसको मैं पूरी...
 
 

5 comments:

  1. I never knew you write.. this was the best composition and very touching.. I think I have got today's lesson :) Thanks to you.

    Keep updating the blog.
    Sorry read it very late. :(

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  2. heart touching lines...keep it up..i always knew you are a philospher...:)

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  3. Welcome DJ....this was your signature poem and will remain..Best of luck.keep writing.

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